| Originaltitel | Dialekt | Informant | Genre Form | Genre Inhalt | ID | glossiert | Audio |
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| tʲorɐs qoː iːmiɣən iːkiɣən (TMJ) | yugan khanty (YK) | Kurlomina, Taisiya Mikhaylovna (Yarsomova) | prose (pro) | Tales (tal) | 1642 | by Schön, Zsófia | – |
| Textquelle | Herausgeber | Sammler |
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| First publication Zsófia Schön (2018). | Schön, Zsófia; Kayukova, Lyudmila Nikolaevna | Kayukova & Schön (AZ) |
| Englische Übersetzung | Deutsche Übersetzung | Russische Übersetzung | Ungarische Übersetzung |
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| – | "Das reiche Kaufmannsehepaar (TMJ)" | – | – |
| by Grieser, Katrin; Schön, Zsófia |
| Zitation |
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| Kayukova & Schön 2018: OUDB Yugan Khanty (2010–) Corpus. Text ID 1642. Ed. by Schön, Zsófia. http://www.oudb.gwi.uni-muenchen.de/?cit=1642 (Accessed on 2025-10-27) |
| tʲorɐs qoː iːmiɣən iːkiɣən (TMJ) (glossed version) |
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Ein reiches Kaufmannsehepaar hat einen kleinen Sohn. |
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Von irgendjemandem wird gesagt: „Gib mir diesen kleinen Sohn! |
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Um ihn in das Land zu bringen, in dem man die Sprache der Vögel und der Tiere mit Beinen erlernt.“ |
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„Nun, bring ihn hin!“ |
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Dann wurde er hingebracht. |
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Wie auch immer, er wurde lang oder kurz hingebracht. |
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Nun, er wurde ihnen [zurück]gebracht. |
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Eines Tages gehen Vater und Sohn den Taigafluss entlang. |
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Ein armer, kleiner Rabe kreist dort kreuz und quer. |
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Sie fahren mit dem Einbaum. |
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„Was sagt dieses Tier?“ |
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„Woher soll ich dies wissen?“ |
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„Woher du das wissen sollst? |
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Wurdest du nicht mitgenommen um jene eine Sprache der Tiere zu lernen? |
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Und dann weißt du es nicht.“ |
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„Ich weiß es, ich höre es. |
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Du wirst wütend werden.“ |
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„Wieso sollte ich deshalb wütend werden?“ |
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„Nun ähm, du, sagt er, jetzt bist du ein solcher Kaufmann.“ |
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XXXDer kleine Rabe über ihnen Zweien hatte sich über sie lustig gemacht. |
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„Jetzt bist du solch ein Kaufmann. |
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Ähm ich werde eine Ehefrau finden. |
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Nachdem ich eine Ehefrau gefunden habe, werdet ihr beide zu armen Bettlern werden. |
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Ihr werdet von Wohnhaus zu Wohnhaus ziehen, um verbrannte Brotkruste bitten.“ |
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In jenem Moment hatte er seinen Sohn dort geschlagen! |
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Er verschwand im Wasser! |
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So leben diese, so lebten sie. |
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Nachdem sie kurz oder lang gelebt hatten, jener Sohn also, auf welche Weise auch immer hatte er überlebt, er hatte überlebt. |
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Und er hatte sich in einer Großstadt niedergelassen. |
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Jene Ehefrau und dergleichen hatte er [sich] genommen. |
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Eines Tages sah der Sohn aus dem Fenster: irgendein Ehepaar kam von Nachbarhaus zu Nachbarhaus; sie blickten von Fenster zu Fenster. |
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Schließlich stellt sich heraus, dies, es ist sichtbar, sind meine Mutter und mein Vater! |
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Sie kamen, sie kamen. |
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Eines Tages also kommen sie so zu seinem Fenster. |
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„Haben sie... habt ihr nicht irgendein Stückchen verbrannte Brotkruste?“ |
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„Geht hierhin ins Haus!“ |
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„Nun, wir, he, ähneln solchen Gestalten! |
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Wie könnten wir in dieses ordentliche russisch chantische Haus eintreten?“ |
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„Kommt, kommt! |
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Geht ins Haus hinein!“ |
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Was passiert nun mit ihnen? |
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Sie traten ein. |
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Sie bekamen zu Essen. |
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Ähm. |
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Und jener... ähm... wahr... er sagt folgendes, o... also noch bevor er ihn ins Wasser stieß: unser, sagt er, schmutziges Wasser zum Händewaschen, zum Beinewaschen, sagt er, es wird Zeit zu trinken. |
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Und zu jener Zeit stieß er ihn ins Wasser... |
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Sie bekamen zu Essen. |
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Um sich hinzulegen. |
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Sie wollen gehen. |
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„Na, he, wie [sollen] wir uns hinlegen? |
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Wir ‒ ähneln solchen Gestalten! |
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Es wurde eine seperate Ecke des Hauses [mit Schlafmöglichkeit] gemacht. |
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Eines Tages wollte der alte Mann in der Nacht so sehr trinken: „Nun, meine Kehle ist so ausgetrocknet.“ |
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„Nun, bleib liegen! |
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Mit deiner Kehle wird schon nichts sein! |
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Woher wird in einem fremden russisch chantischen Haus jenes Wasser genommen?“ |
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„Na nun, dann such es!“ |
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Sie fand irgendeine Art von Wasser in dem viel Müll schwamm. |
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Sie brachte es dem alten Mann. |
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Und der alte Mann trank so. |
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Nachdem er etwas getrunken hatte, brachte sie es zu jener Stelle zurück. |
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Am nächsten Tag, nachdem er aufgestanden war, wurde von seinem Sohn sagend gesagt: „Ich bin wirklich ‒ sagt er ‒ euer Sohn! |
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Zu jener, zu jener Zeit hast du mich wirklich ins Wasser gestoßen. |
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Da du der Geschichte nicht geglaubt hast! |
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In der Nacht zuvor hast du wirklich das schmutzige Wasser getrunken, in dem wir unsere Hände und Beine gewaschen haben.“ |
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Nachdem er dieses Gespräch gehört hatte, gerade als er seinen Sohn begrüßte, ähm da wird er zur Kerbenleiter gestoßen. |
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Er wurde zum Mann mittleren Alters! |
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Er war beinahe hingefallen. |
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Die alte Frau hatte sich gerade zur Begrüßung ihrer Schwiegertochter entgegen geworfen, sie wird von ihrer Schwiegertochter in Richtung der Kerbenleiter gestoßen! |
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Ein Stückchen ihres Rocks fiel herunter! |
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Sie wurde zur Frau mittleren Alters! |
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Wie auch immer, mit diesem Glück leben sie bis heute. |
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Dies, wer weiß, ob es ein Märchen ist, oder eine Legende, oder eine wahre Sache? |
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Wahrscheinlich ist es ein Märchen. |
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In jenes Wasser... die Legende lebt, jenes ins Wasser geschubst werden ich... wie war der Sohn aufgestanden? |