 
	| Original Title | Dialect | Informant | Genre Form | Genre Content | ID | glossed | Audio | 
|---|---|---|---|---|---|---|---|
| kiːkluβi pɐːnə tɐːs kɛnʲɐr βɑk kɛnʲɐr iːmiɣən iːkiɣən (VIU) | yugan khanty (YK) | Usanov, Vasiliy Ivanovich | prose (pro) | Tales (tal) | 1646 | by Schön, Zsófia | Audio | 
| Text Source | Editor | Collector | 
|---|---|---|
| First publication Zsófia Schön (2019). | Kayukova, Lyudmila Nikolaevna; Schön, Zsófia | Schön, Zsófia (ZS) | 
| English Translation | German Translation | Russian Translation | Hungarian Translation | 
|---|---|---|---|
| – | "Der Unglückshäher und Das im Reichtum arme, im Vermögen arme alte Ehepaar (VIU)" | – | – | 
| by Grieser, Katrin; Schön, Zsófia | 
| Citation | 
|---|
| Schön, Zsófia 2019: OUDB Yugan Khanty (2010–) Corpus. Text ID 1646. Ed. by Schön, Zsófia. http://www.oudb.gwi.uni-muenchen.de/?cit=1646 (Accessed on 2025-10-31) | 
| kiːkluβi pɐːnə tɐːs kɛnʲɐr βɑk kɛnʲɐr iːmiɣən iːkiɣən (VIU) (glossed version) | 
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| Einmal, ähm, lebt ein Ehepaar, Das im Reichtum arme, im Vermögen arme alte Ehepaar. | 
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| Der arme Mann, während er jagend ging, fand er eines Tages einen Unglückshäher. | 
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| Eine andere Sache sieht er nicht. | 
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| Er denkt in sich: „Nun, ich schieße ihn hier ab, diesen Unglückshäher. | 
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| Auch te... auch er ist doch ein Tier.“ | 
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| Er schnappte sich Pfeil und Bogen, mit dem Gedanken in da abzuschießen. | 
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| Zu dieser Zeit der Unglückshäher dem Chanten, chantisch... chantisch... Cha... auf Chantisch, ähm, machte er einen Laut: „Nun, armer Mann, mich nicht… schieß mich nicht ab! | 
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| Was du brauchst, ich dir, ähm, helfe.“ | 
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| „Wirklich, was brauche ich? | 
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| Wir, siehe da!, sind Das im Reichtum arme, im Vermögen arme alte Ehepaar. | 
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| Ob du uns, ähm, mach uns ein besseres Haus!“ | 
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| Jener Unglückshäher wendet sich um und sagt: „Nun, na, nun, ähm, geh nach Hause! | 
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| Ich bestimmte für dich den Lebensweg des guten Mannes, ich mache es.“ | 
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| Er ging nach Hause. | 
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| Er erzählte seiner armen Ehefrau von jener Unterhaltung. | 
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| So, ähm, während sie leben, legten sie sich hin. | 
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| Ähm, sie haben einen Mantel, einen sehr abgenutzten Mantel. | 
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| Wird er mit einer Hand zum Kopf gezogen – ist der Hintern unbedeckt, wird er mit einer Hand zum Hintern gezogen – ist der Kopf unbedeckt. | 
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| Mit solch einem Mantelteilchen legten sie sich hin. | 
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| Nachts, ähm, wachten sie auf. | 
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| Was ist hier passiert? | 
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| Sie platzen fast vor Schweiß. | 
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| „Was… wie… warum wurden wir wieder zugedeckt?“ | 
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| Kaum auf, ähm, sie blickten auf. | 
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| Es stellt sich heraus: was ist los? | 
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| Ähm, ihr sehr abgenutzter Mantel, den sie irgendwo dort hatten, ist nicht mehr [da]! | 
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| Es stellt sich heraus: sie liegen mit einem guten Mantel, einem guten Umhang da. | 
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| Von jenem Unglückshäher wurden sie dazu gebracht, zum Lebensweg des guten Mannes. | 
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| Sie standen auf, Essen und dergleichen ist alles da. | 
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| Sie begannen sofort lebendig zu sein. | 
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| Wirklich es ist wirklich gut. | 
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| Die Frau… die arme Frau wendet sich um und sagt: „Nun, ähm, zum Lebensweg des guten Mannes, nun wie auch immer, hat er uns gebracht. | 
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| Ähm, geh dahin, sag, ähm, uns, ähm, soll er wirklich zu kleinen Kaufleuten machen!“ | 
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| Der arme Mann ging wieder dahin. | 
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| Er kam dahin. | 
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| „Na wirklich, Das im Reichtum arme, im Vermögen arme alte E... armer Mann, wieso bist du wieder gekommen?“ | 
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| „Nun, ich wurde von meiner armen Ehefrau geschickt. | 
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| Zum Lebensweg des guten Mannes, wie auch immer, hast du uns gebracht. | 
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| Nun, ob du uns [auch] zu kleinen Kaufleuten machst.“ | 
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| „Nun, wahrscheinlich, auch das. | 
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| Geh nach Hause! | 
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| Ich mache es.“ | 
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| Sie gingen nach Hause. | 
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| Am nächsten Tag waren sie kaum aufgewacht. | 
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| Dies hier: was ist passiert? | 
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| Vor ku... so vor kurzem als hätten sie etwas gehabt?! | 
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| Speicher und dergleichen, Häuser. | 
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| Sie wurden zu kleinen Kaufleuten. | 
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| Was? | 
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| Jede Sorte von Mehl, sehr viel Mehl alles ist dort. | 
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| Sie haben Arbeiter. | 
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| Was [bräuchten sie] noch? | 
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| Alle Sorten von Essen und dergleichen werden ihnen von anderen Menschen gebracht. | 
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| So, siehe da!, sind sie geworden. | 
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| E..., zu jener Ehefrau dort hörten ihre Gedanken nicht auf zu kommen: „Nun, zu kleinen Kaufleuten hat er uns, wie auch immer, gemacht. | 
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| Na, wirklich zu großen Kaufleuten soll er uns machen! | 
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| Geh erneut dahin!“ | 
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| Der arme Mann ging dahin. | 
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| Obwohl er nicht widersprach, wollte er nicht gehen, [doch] er ging. | 
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| Er kam dahin. | 
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| „Wirklich, Das im Reichtum arme, im Vermögen arme alte E... Mann, wieso bist du wieder gekommen?“ | 
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| „Na, wieder hat mich diese arme Ehefrau geschickt, damit du uns zu großen Kaufleuten machst.“ | 
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| „Nun, wahrscheinlich, mache ich euch, wie auch immer, zu großen Kaufleuten. | 
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| Geh nach Hause, jetzt!“ | 
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| So kam er nach Hause. | 
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| Am nächsten Tag waren sie wieder aufgewacht, was ist das? | 
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| Vor kurzem lebten sie in jenem alleinstehenden abgenutzten Haus. | 
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| Dies hier: es war zu einer ganzen Stadt geworden! | 
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| Sie waren zu großen Kaufleuten geworden. | 
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| Alle Arten von Arbeitern und dergleichen! | 
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| Gut, Silber, Goldtruhen! | 
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| Im Haus gibt es einfach alles! | 
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| Zu eben solchen wurden sie. | 
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| Jene Frau hört wirklich nicht auf zu den Gedanken zu kommen: „Na, nun, ähm, Mann, geh dorthin! | 
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| Uns, ähm, macht er wirklich zum Torum, zum Zaren!“ | 
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| Der arme alte Mann wendet sich um und sagt: „He, dies hier, nun, du, Ehefrau, du bist unvernünftig geworden! | 
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| Zu jenem Torum, jenem Zaren me... irgendein... wer würde uns dazu machen?!“ | 
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| Nein, von der Ehefrau wurde er unter Zwang dahin geschickt. | 
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| So ging der Ehemann. | 
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| Er kam dahin. | 
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| „Wirklich, Der arme im Reichtum arme, im Vermögen arme alte Mann, wieso bist du wieder gekommen?“ | 
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| „Na, hier, ich werde von dieser armen alten Frau hierher geschickt. | 
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| Uns, ähm, mach uns zum Torum, zum Zaren.“ | 
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| In jenem Moment wendete sich der Unglückshäher um und sagte: „Es gibt einen Torum – mich, es gibt einen Zaren – mich! | 
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| Wahrscheinlich, geh nach Hause! | 
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| Ich mache [euch] zum Torum, zum Zaren.“ | 
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| Er kam nach Hause. | 
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| So legten sie sich wieder hin. | 
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| Nachts, frierend, wachten sie auf. | 
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| Meine Sache hier, was ist passiert?! | 
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| Ähm, kaum dass sie aufgewacht waren, vor kurzem irgendein gehabt... habend... liegen sie [dort] mit demselben abgenutzten Mantel. | 
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| Jenes, es stellt sich heraus, Silber, Gold, alles existiert nicht mehr. | 
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| Es gibt auch keine Arbeiter mehr. | 
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| Sie fielen in jenes alte, sehr abgenutzte Haus. | 
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| So jener Ehemann... der arme Ehemann wendet sich um und sagt: „Ich hatte dir doch gesagt, du sollst nicht unvernünftig werden! | 
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| Zum Herrscher, nun, wer denkt sich das aus?!“ | 
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| Und damit sind sie gestorben. | 
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| In seinem Haus erfroren sie dann. | 
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| Na so ist also ein unvernünftig geworder Mensch. |