 
	| Original Title | Dialect | Informant | Genre Form | Genre Content | ID | glossed | Audio | 
|---|---|---|---|---|---|---|---|
| ɐːtiɬ qɒːtəŋ mɒːnʲtʲ qoː pɐːnə jiɬəɣ qɑnɬəɣ ot (VIU) | yugan khanty (YK) | Usanov, Vasiliy Ivanovich | mixed (mix) | Tales (tal) | 1619 | by Schön, Zsófia | Audio | 
| Text Source | Editor | Collector | 
|---|---|---|
| First publication Zsófia Schön (2017). | Kayukova, Lyudmila Nikolaevna; Schön, Zsófia | Schön, Zsófia (ZS) | 
| English Translation | German Translation | Russian Translation | Hungarian Translation | 
|---|---|---|---|
| – | "Der Allein lebende Märchenheld und das Böse Wesen (VIU)" | – | – | 
| by Antoniol, Annette; Schön. Zsófia | 
| Citation | 
|---|
| Schön, Zsófia 2017: OUDB Yugan Khanty (2010–) Corpus. Text ID 1619. Ed. by Schön, Zsófia. http://www.oudb.gwi.uni-muenchen.de/?cit=1619 (Accessed on 2025-10-27) | 
| ɐːtiɬ qɒːtəŋ mɒːnʲtʲ qoː pɐːnə jiɬəɣ qɑnɬəɣ ot (VIU) (glossed version) | 
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| VIU: Einmal, in der Taiga, an der Kreuzung ähm... ähm lebt ein allein lebender Märchenheld. | 
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| Ähm, während er so lebt, irgendwann später erwachte ein starkes Gewitter. | 
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| Ein starkes Gewitter erwachte. | 
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| Er verriegelte seine Tür. | 
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| Das böse Wesen schiebt sich gerade noch zu ihm ins Haus hinein. | 
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| Das böse Wesen, ähm: „Nun mich Männlein, lass mich ins Haus hinein!“ | 
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| „Wo verstecke ich dich?“ | 
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| „Gegenüber nun... ich ähm hier auf die obere Seite der Tür ähm, als Nadel so dünn wie zum Stickmuster nähen, schiebe ich mich hier hinein. | 
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| Ähm du ähm lass mich hinein!“ | 
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| Er ließ ihn ins Haus. | 
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| Jenes böse Wesen Stickmuster... als Nadel so dünn wie zum Stickmuster nähen, auf der oberen Seite der Tür... auf der oberen Seite dort blieb er stehen. | 
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| Das Gewitter lärmte, lärmte, dort um das Haus herum kracht es die ganze Zeit. | 
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| Und das Gewitter, nachdem das Gewitter weggegangen war, das böse Wesen ähm menschlicher Körper, in der Gesamtheit eines Menschen stand er so da. | 
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| Er wendet sich um und sagt: „Wirklich, mein lieber Mensch, du hattest mich gerettet. | 
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| Nun ähm lass uns losgehen um mein Land anzuschauen!“ | 
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| Nun ähm... | 
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| „Nun, wie komme ich denn zu dir? | 
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| Du bist doch eine Gestalt mit Federn, eine Gestalt mit Beinen. | 
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| Ich bin doch ein Mensch. | 
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| Wie komme ich zu dir?“ | 
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| Nun wie du zu mir kommst? | 
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| Du ähm zu mir... du setzt dich auf mich drauf! | 
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| Ich bringe dich.“ | 
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| Du kennst dieses Märchen [oder]? | 
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| Du kennst es! | 
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| Du lachst einfach so jajeeee! | 
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| SZS: Erzähl es weiter! | 
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| VIU: Aha! | 
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| Und, auf ihn drauf so, er saß [dort]. | 
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| „Nun ki... nun mach einen Ranzen! | 
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| Mach einen Ranzen und setz dich in den Ranzen hinein!“ | 
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| Er machte einen Ranzen und er setzte sich in den Ranzen. | 
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| Er lief los, jenes böse Wesen. | 
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| So lief er, so lief er und dieser Chante denkt: „Wie schnell laufen wir wohl?“ | 
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| Mit seinem Kopf blickte er um sich. | 
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| Als er mit seinem Kopf umherblickte, fiel seine Mütze, der er auf seinem Kopf hatte, weit weg. | 
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| Entlang des Rückens des bösen Wesens fing er an zu schlagen: „He!, He!, Lande auf dem Boden!“ | 
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| „Was ist denn mit dir passiert Mensch?“ | 
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| „Meine Mütze, die ich auf meinem Kopf hatte, habe ich irgendwo zurückgelassen?“ | 
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| „Ich habe dir doch gesagt, blicke nicht auf!“ | 
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| „Meine Mütze, die ich auf meinem Kopf hatte, habe ich irgendwo weit weg zurückgelassen.“ | 
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| Und sie gingen zurück, sie fanden jene Mütze. | 
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| So gingen sie [weiter]. | 
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| So gingen sie, so gingen sie, irgendwann später, dieses böse Wesen lebte... in die Stadt kamen sie so an. | 
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| Er kam dort an. | 
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| Was ist das denn? | 
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| So gute und jegliche Getränke und dergleichen! | 
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| Für jenen Chanten haben sie eine Opfergabe gemacht. | 
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| XXXSo dort wie auch immer, eine heilige Woche, dort so während einer fischigen Woche, feierten sie. | 
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| Irgendwann später begann es dem Chanten langweilig zu werden. | 
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| Das böse Wesen wusste das. | 
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| Er wendet sich um und sagt: „In ähm unserem Land so, so leben wir. | 
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| Wenn du [mich] einmal mit einem Schlegel aus Espenholz schlägst, dann werde ich ohnmächtig. | 
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| Wenn du [mich] ein zweites Mal haust, werde ich lebendig.“ | 
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| Sie saufen, irgendwann später hat der Chante jenem bösen Wesen darauf festgelegt, es wird hinfallen. | 
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| Nun er ging in den Wald, er machte einen Schlegel aus Espenholz, er ging ins Haus. | 
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| Und [seinen] Kopf schlug er einmal. | 
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| Aha was ist los??? | 
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| Während sie so gehen, während sie gehen ähm, zu einem Menschenhaus, aha... so zeige ich dir die Wahrheit! | 
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| „Wenn du dann zurückgehst, kommst du zu einem Menschenhaus. | 
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| Die Ehefrau und der Ehemann haben eine Tochter. | 
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| Jene Tochter, ähm ihre Seele diese Nacht... in dieser Nacht nimmt man ihre Seele, an diesem Tag nimmt man es, zu jenem Grad ist sie geworden. | 
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| Sie hoffen auf dich, zur Heilung. | 
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| Du in jener Nacht sag dann: du heilst die Tochter der Frau und des Manns. | 
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| Ähm. | 
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| Nur geht ihr raus. | 
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| Ihr geht raus. | 
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| Ähm draußen, nachdem sie rausgegangen sind. | 
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| Ähm neben ihr ist ein kleines Tischlein. | 
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| Öffne jenen Tisch. | 
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| Dort ist ein Schüsselchen mit Blut. | 
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| Als ich gekommen war, wurde ihr Blut von mir ausgetrunken. | 
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| Und tu es dort hin. | 
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| Jenes Schüsselchen dort trink es. | 
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| Von jenem Mann... jenes Mädchen dort wird dann lebendig.“ | 
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| [Ru. Na gut,] er ging zurück, jenes böse Wesen. | 
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| Mit dem Schlegel aus Espenholz schlug er ihn. | 
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| Er ging zurück. | 
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| Während er dort so geht, eines Tages zum übernachten... nachdem die Zeit zum übernachten anbrach, kam er zu der Frau und dem Mann. | 
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| Zur Frau und zum Mann ging er ins Haus dort hinein. | 
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| Es wird ihm Essen und dergleichen gegeben. | 
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| Sichtlich [stimmt etwas nicht] mit der Frau und dem Mann. | 
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| Wer weiß was mit ihrem Gesichtern passiert ist, er schaut sie an. | 
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| „Was ist mit euch passiert?“ | 
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| Während wir so leben, wurde unsere Tochter krank! | 
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| Geradewegs, ihre Seele diese Nacht, wirklich in dieser Nacht nimmt man es. | 
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| Du bist wohl ein von weitem gekommener Besucher und Gast. | 
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| Könnte sie nicht von dir wieder gesund gemacht werden?“ | 
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| Zu jener Zeit erinnert er sich: aha, es wurde mir doch gezeigt! | 
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| „Nun ähm, heilen, heile ich sie. | 
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| Ihr ähm ähm geht raus!“ | 
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| Hinaus um... sie gingen. | 
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| Er ging ins Haus, ins Zimmer jenes Mädchens. | 
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| Er inspiziert es: ähm der Tisch... es gibt einen Tisch. | 
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| Dort öffnete er es so. | 
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| Es ist wahr, dort ist ein Schüsselchen mit Blut. | 
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| Jenes Schüsselchen hob er hoch und auf... jener Tochter gab er es zu trinken. | 
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| Jenes Mädchen wurde zum gesunden Menschen, sie wurde gesund, sie wurde ganz. | 
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| Sofort vom Vater, von der Mutter wurde sie ihm als Frau dort versprochen. | 
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| Jener Gast et... Besucher, Gast wurde dort [mit dem Mädchen] verheiratet. | 
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| Mit jener Legende, mit jenem Märchen lebt er bis heute. | 
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| Das Ende der Legende ist hier. | 
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| Du hast es doch gehört! |